दानापुर मंडल का ट्विटर हैंडल कर्मचारियों के लिए बना गले की हड्डी, सरकारी कर्मचारियों के कार्य मे डालता रहता है बाधा
शिकायतकर्ता की नहीं होती जांच बिना गलती के भी कर्मचारी हो रहे प्रताड़ित, राजस्व को लग रहा चूना
सरकारी कर्मचारियों के कार्यों में बाधा डालना कानूनी रूप से अपराध है संबंधित लोगों पर भी होनी चाहिए कारवाई
विशेष रिपोर्ट
राजन मिश्रा , सोमवार 20 अक्टूबर 2025
रेलवे कर्मचारी इन दिनों आम लोगों और अपने उच्चस्थ कर्मचारियों से बहुत परेशान चल रहे हैं जिसका मुख्य कारण बिना कोई मतलब के ड्यूटी के दौरान इनका फोटो निकाल कर आगे ट्विटर हैंडल को भेजना वहीं उच्चस्थ कर्मचारियों द्वारा इस प्रकार के फोटो मिलते ही अधीनस्थ कर्मचारियों पर त्वरित करवाई कर दिया जाना है लेकिन इसके पीछे का हिस्सा छिपा रह जाता है कभी-कभी कुछ कर्मचारियों के मिलीभगत से भी ड्यूटी में कार्यरत कर्मचारियों का फोटो निकलवा कर ऊपर भेजा जाता है ताकि सम्बंधित कर्मचारी परेशान हो जाए ऐसा इसलिए होता है की एक कर्मचारी दूसरे कर्मचारी से खून्नस और बदला लेने का यह रास्ता अपनाते हैं जिससे राजस्व का नुकसान भी रेलवे को होता है ऐसी कार्रवाइयों में प्रताड़ित हुए कर्मचारी का मानहानि भी जमकर होता है दुर्भाग्य यह है कि बड़े पदाधिकारी भी रेलवे के नियमों का ध्यान नहीं देते और बिना किसी जांच पड़ताल के फोटो और तथ्यहीन आवेदन के आधार पर कर्मचारियों पर एकतरफा कारवाई कर देते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए
ज्ञात हो कि रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 146 के तहत ड्यूटी में कार्यरत किसी कर्मचारी का फोटो खींचना या उसके काम में बाधा बनना या वीडियो बनाकर डालना अपराध माना गया है और इसके लिए सजा देने का भी प्रावधान है वही धारा 147 में बिना अनुमति के रेलवे संपत्ति मे घुसना या वहां बवाल मचना यह भी अपराध के श्रेणी में आता है और अंत में जब किसी कार्रवाई से किसी का मानहानि होता है तो इसके लिए आईपीसी धारा 499 में बोलकर या लिखकर या फिर किसी अन्य तरीके से किसी को प्रतिष्ठा में ठेस पहुंचाना अपराध माना गया है आईपीसी धारा 500 में मानहानि अपराध पर सजा देने का भी प्रावधान हैं बावजूद इसके उच्च अधिकारियों द्वारा अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाव बनाया जाता है और बिना मतलब दो, तीन या चार दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया जाता है जिससे उनके रौब में तो इजाफा हो जाता है लेकिन रेलवे का बहुत नुकसान होता है ऐसा करना नहीं चाहिए बिना मतलब किसी को कार्य बंद कर देने से रेलवे के राजस्व को भारी नुक्सान पहुंचता है इस बात का ध्यान कोई कर्मचारी नहीं रखना चाहता जो बहुत शर्मसार है ऐसे कृत्यों से अधीनस्थ कर्मचारियों में हीन भावना पनपते जा रही है जो बाद में दूसरा रूप ले लेता है बीते दिनों बक्सर के दो टीसी को सस्पेंड किया गया है इसके पीछे भी संभवत ऐसा ही कारण है इसमें शिकायत करने वाला का जांच आवश्यक है तब दूध का दूध और पानी का पानी होगा
गौरतलब हो कि किसी की शिकायत आने के बाद इस पर गंभीरता से जांच होनी चाहिए केवल ट्विटर हैंडल पर बैठे कर्मचारियों के कह भर देने से किसी कर्मचारी पर आरोप तय नहीं करना चाहिए वही शिकायतकर्ता की जांच पहले होनी चहिए ताकि पता चल सके कि किसी को फंसाने का मुख्य जड़ कहां है उच्च अधिकारियों को संज्ञान लेना होगा वैसे इस खबर को रेलवे बोर्ड तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है ताकि समय रहते निर्दोष कर्मचारियों को बचाते हुए रेलवे बोर्ड से संबंधित दिशा निर्देश मंगाये जा सके और भविष्य में बिना मतलब कोई प्रताड़ित न हो
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