सियासत : चुनावी समीक्षा, धर्म और जातिय समीकरण के साथ पलायन का दर्द, रोजगार और विकास


रिपोर्ट - अनमोल कुमार/राजन मिश्रा 

अप्रैल का महीना है गर्मी की तपिश भी बढ़ती जा रही है बिहार में चार लोकसभा सीटों में प्रथम चरण में चुनाव होना है यह सीट हैं नवादा औरंगाबाद गया सुरक्षित तथा जमुई सुरक्षित लोकसभा सीट इसके बाद दूसरे चरण का भी प्रचार जोर पकड़ चुका है। आप बिहार के ग्रामीण इलाकों में जाइए वहां आपको चुनाव का असली मिजाज पता चलता है शायद ही कोई ऐसा घर हो जिसके तीन चार कमाने वाले लोग बाहर के प्रदेशों में ना हो वह वापस चुनाव में भी नहीं आने वाले क्योंकि आएंगे तो फिर खाएंगे क्या यानी आधी आबादी रोजी रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों में है उसे चुनाव जैसे चीजों से कोई लेना-देना नहीं जो घर में है उन्हें भी कुछ खास रुचि नहीं दो चार पर्सेंट लोग ही ऐसे मिलेंगे जो आपको चुनाव पर खुलकर बात करेंगे पहले आपकी भावभंगी मां को समझेंगे फिर आपके ही सवाल के हिसाब से जवाब देंगे अगर आप ऊंची जाति के लोगों के गांव में जाएंगे तो ज्यादातर लोग आपको भाजपा और उसके सहयोगी दलों के समर्थन में बोलते आएंगे जबकि यादव मुस्लिम वाले गांव में लालटेन की महिमा का गुणगान ही होगा अति पिछड़ी जातियों के टोला में लोग खुलकर कुछ भी कहने से बचते नजर आएंगे जहां जिस जाति का वर्चस्व है वहां उसे जाति का उम्मीदवार है चाहे उम्मीदवार बीजेपी का है राजद का है कांग्रेस का है लचपा का है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लोग अपने जाट के नेता के साथ खड़े हैं एक बड़ा वोट बैंक है जिसे लगता है कि मोदी है तो मुमकिन है पर तेजस्वी के वोटर भी इस बार खामोश नहीं हैजिस तरह से सट्टा का समीकरण दिखाया जा रहा है बिहार में बिहार में वैसी जमीनी हकीकत नहीं है बिहार में गेम चेंजर की भूमिका में माय समीकरण है जिसे दरकिनार नहीं किया जा सकता उदाहरण के तौर पर आप सारण लोकसभा सीट को ही ले लीजिए यहां पर यदुवंशियों और रघुवंशियों में कांटे की टक्कर होती रही है इस बार राजद सुप्रीमो की बेटी रोहिणी आचार्य यहां से राजद की उम्मीदवार है रोहिणी रोड शो कर रही है लगभग 6 विधानसभा क्षेत्र में रोड शो कर चुकी है हर जगह भीड़ भरी उमरी है वहीं दूसरी तरफ भाजपा के निवर्तमान सांसद तथा उम्मीदवार राजीव प्रताप रूढ़ी भी नुक्कड़ सभाओं का सहारा ले रहे हैं उनके स्वभाव में भी भी उमर रही है मोदी लहर और जातीय समीकरण को अलग रख दें तो पलड़ा बराबर का है। बिहार में राजद ने सिर्फ एक राजपूत वह भी प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह को बक्सर से उम्मीदवार बनाया है शिवहर से रामा सिंह को उम्मीदवार बनाया जाएगा कि नहीं बनाया जाएगा इस पर संसय है कांग्रेस में भी कई राजपूतो का टिकट राजद के हठ के कारण काटा है इस कारण से राजपूत समाज में यह बात चर्चा में है कि लालू यादव आनंद मोहन का बदला महागठबंधन के सीटों पर राजपूतों से निकल रहे हैं। भाजपा के साथ अति पिछड़ा अपर कास्ट तथा वैश्य मतदाता एकजुट खड़े नजर आ रहे हैं दलितों का भी झुकान है। प्रथम चरण की चार सीटों में गया ही एकमात्र ऐसी सीट नजर आ रही है जहां लड़ाई में आरजेडी एनडीए पर भारी है बाकी तीन सीटों पर राजद कहीं लड़ाई में नजर नहीं आ रही यह जमीनी हकीकत है नवादा में राजबल्लव यादव का परिवार बागी है तो औरंगाबाद में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने राजद से दूरी बना ली है। जमुई में भी पार्टी गुटबाजी का शिकार है हालांकि पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र अजय प्रताप सिंह के राजद में आने से कुछ एक विधानसभा क्षेत्र में स्थिति सुधरी है।

Share To:

Post A Comment: