दानापुर रेलवे में राजस्व संबंधी महत्वपूर्ण पदों पर 100 किलोमीटर के भीतर ही होते रहते हैं तबादले , आखिर क्यों ?


सीटीआई सहित कई पदों पर कार्यरत कर्मचारी वर्षों से 100 किलोमीटर के भीतर ही अपना तबादला करवाते रहते हैं , सवाल है कैसे ?

संभवतः रेलवे के नियम अनुसार प्रशासनिक आधार पर हमेशा 3-3 साल पर कर्मचारीयों के तबादले का प्रावधान है लेकिन पैरवी और नेतागिरी के बल पर वर्षों से 100 किलोमीटर के भीतर ही कुछ कर्मचारी विराजमान रह जाते है, ऐसा क्यों है यह जांच का विषय है उच्च अधिकारियों को संज्ञान लेकर ऐसे कर्मचारियों पर शिकंजा कसना आवश्यक है 

विशेष रिपोर्ट      


राजन मिश्रा , शुक्रवार 24 अक्टूबर 2025

दानापुर रेलवे में कुछ कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले नेतागिरी और पैरवी जमकर चलने की खबर वर्षों से आती रही है लेकिन इसकी सुधी लेने वाला कोई नहीं सूत्रों की माने तो इस मंडल में सीटीआई ,टीआरडी हेड सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर कुछ ऐसे व्यक्ति कर्मचारी के रूप में तैनात है जो पैरवी और नेतागिरी के बल पर वर्षों से अपना तबादला 100 किलोमीटर के भीतर ही कराते रहे हैं कभी बक्सर से जमानिया, दिलदारनगर तो जमानिया, दिलदारनगर से बक्सर और फिर बक्सर से आरा इतना ही दूर में उनकी आधा से ज्यादा नौकरी अपने गृह क्षेत्र के आसपास ही निकल चुकी है वहीं कुछ लोग गृह क्षेत्र में ही नौकरी पर हैं कुछ कर्मचारी दानापुर मंडल को अपना गढ़ बना चुके हैं यह लोग रेलवे के नियमों से खुलेआम खिलवाड़ करते हैं नियम का पालन तो होता है तबादला होता है लेकिन उसका दायरा यह लोग कम करा देते हैं ताकि भ्रष्टाचार की व्यवस्था बनी रहे सूत्र यह भी बताते हैं कि दानापुर मंडल मे डब्ल्यू आई का कुछ पद भी वर्षों से एक ही कर्मचारियों के अंदर रह जाता है लेकिन ऐसा क्यों है समझ नहीं आता संभवत यहां लोग यूनियन से संबंधित या फिर बड़े पैरवीकार है इन तथ्यों पर संज्ञान लेते हुए ऐसे कर्मचारियों पर उच्च अधिकारियों को संज्ञान लेना होगा जांच करते हुए यह पता लगाना होगा की कौन कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त है और ऐसे कर्मचारी के संपत्ति की जांच भी करनी चाहिए ताकि अवैध रूप से अर्जित धन को रेलवे में समायोजित कर दिया जाए और दूसरे कर्मचारियों के लिए यह हमेशा के लिए एक सबक बन जाए

गौरतलब हो कि कुछ विश्वसनीय सूत्र यह भी बताते हैं की ऐसे कर्मचारी अपना रौब दिखाकर दूसरे कर्मचारियों को झांसे से मे लेकर रुपए उगाही का भी काम पैरवी करने के नाम पर कर लेते हैं क्योंकि वर्षो से यह लोग अपना पैठ बनाए हैं अवैध दुकानों को लगवाकर रुपए बनाना, रेलवे स्टेशन पर बिक रहे अवैध सामानों को नजरअंदाज करने के बदले नजराना लेना यह सब इन लोगों का काम होता है हालांकि काम इतना साफ होता है कि किसी को पता भी न चले यह लोग तो मजे से अपना जीवन निकाल लेते हैं वहीं दूसरी ओर बाहर के कर्मचारी के साथ रेलवे प्रशासन के लोग कोई समझौता नहीं करते कुछ लोग नौकरी के अंतिम पड़ाव पर अपने गृह क्षेत्र में जाने के लिए तरसते रहते हैं लेकिन इनको मौका नहीं दिया जाता यह उचित नहीं है  एक हीं विभाग मे दो नियमों को नहीं लगाया जा सकता जब एक कर्मचारी को मनचाहा जगह पर रखा जाता है और दूसरों को मनचाहे जगह रहने की व्यवस्था नहीं दी जाती ऐसे व्यवहार से भेदभाव झलकता है और कुछ कर्मचारियों के मन में हीन भावना आती है ऐसे कृत्यों पर रोक लगाते हुए पूरे मंडल का सत्यापन करना होगा और सभी कर्मचारी की बात सुननी होगी वही भ्रष्ट कर्मचारियों को दानापुर मंडल से दूर भगाना होगा ताकि आनेवाले समय में दानापुर मंडल को भ्रष्टाचारमुक्त किया जा सके 

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