राज्य स्वास्थ्य समिति और स्वास्थ्य विभाग के साजिश के शिकार हो रहे हैं विभाग के डाटा ऑपरेटर


स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोनावायरस से उपजे महामारी के दौरान इन डाटा ऑपरेटरों से लिया गया विशेष योगदान अपने जान पर खेलकर लोगों की कर रहे है सेवा

विभाग के तुगलकी फरमान से परेशान है डाटा ऑपरेटर अपनी नौकरी के सुरक्षा को लेकर वर्षो से सरकार से मांग कर रहे हैं ऐसे में राज्य स्वास्थ्य समिति का यह फरमान सरकार को बदनाम करने की साजिश है, मुख्यमंत्री ले संज्ञान- भरत मिश्रा

राजन मिश्रा
18 जून 2020

बिहार में इन दिनों कोरोनावायरस से उपजे महामारी के साथ ही चुनावी माहौल भी हावी है ऐसे में सरकार द्वारा बिहार के लोगों को लगातार रोजगार देने और महामारी के समय में एक तरफ राहत देने की बातें की जा रही है वही सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस विभाग में कार्यरत डाटा ऑपरेटर को प्रताड़ित करने की व्यवस्था भी की जा चुकी है जिसके चलते विभाग में कार्य करने वाले डाटा ऑपरेटर खासे  परेशान चल रहे हैं इन्हें अब अपने बेरोजगारी का डर सताने लगा है जिसके पीछे स्वास्थ विभाग के तुगलकी फरमान का जारी किया जाना है विगत 6 वर्षों से जिन डाटा ऑपरेटरों के बल पर स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों को संचालित किया जा रहा है उन्हें ही विभाग द्वारा विभाग से निकालने की साजिश सुनियोजित तरीके से की जा चुकी है जिसका विरोध लगातार बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के द्वारा भी किया जा रहा है बताया जाता है कि राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा डाटा ऑपरेटरों का कार्य देखने वाले एजेंसी को बदलते हुए दूसरे एजेंसी को कार्य दे दिया गया है और अब नई कंपनी के द्वारा तरह तरीकों के शर्तों को लागू किए जाने की बातें सामने आ रही है जो सरासर गलत है पिछले 6 वर्षों से कार्य करने वाले लोगों को अचानक शर्तो के बीच बांध देना और फिर से टाइपिंग टेस्ट, मेरिट टेस्ट सहित आरक्षण नियमों को लगाते हुए अपने मनमानी तरीकों से काम लिए जाने की व्यवस्था बनाने की बातों से यह साफ हो जाता है कि विभाग द्वारा पुरानेे डाटा ऑपरेटरों को विभाग से निकालने का रास्ता साफ कर दिया गया है और रास्ता कुछ इस प्रकार का निकाला गया हैै कि डाटा ऑपरेटर दबाव में आकर खुद ही अपना काम छोड़ दे. इस मामले पर जदयू के राज्य सलाहकार समिति के सदस्य भरत मिश्रा ने कहा कि सरकार का यह कदम बिहार में कार्यरत तमाम डाटा ऑपरेटरों को बेरोजगार बनाते हुए भुखमरी के कगार पर ला देगा कुछ नए लोगों की बहाली तो हो जाएगी लेकिन जो लोग बीते 6 वर्षों से अपना बहुमूल्य समय सरकार को दिए हैं उनके द्वारा किए जा रहे आंदोलन का क्या होगा कहीं ना कहीं राज्य स्वास्थ समिति के इस तुगलकी फरमान के माध्यम से सरकार को बदनाम करने के साजिश की बू आ रही है ऐसे में माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और वर्षों से सेवा दे रहे डाटा ऑपरेटरों के हित में दिशा निर्देश जारी करना चाहिए ताकि सरकार का मान सम्मान सुरक्षित रहे
सूत्रों की माने तो  राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा  उर्मिला इंटरनेशनल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से  अनुबंध करते हुए  डाटा ऑपरेटरो से संबंधित जिम्मेवारी इस नई कंपनी को दी गई है  और इस नई कंपनी के द्वारा  अब सभी डाटा ऑपरेटरों को टाइपिंग टेस्ट  सहित  आरक्षण रोस्टर  लागू करने के साथ-साथ  दूसरे जिलों में जाकर  सेवाएं देने की बातें  की जा रही है  जबकि सरकार के  नियम के अनुसार  अल्प वेतनभोगी  संविदा कर्मियों को  जो जहां है  वहीं रह कर अपना  काम करेगा  और उसे हस्तांतरित नहीं किया  जा सकता  ऐसे नियम बनाए गए हैं  बावजूद इसके  सरकार द्वारा इस प्रकार का  कार्रवाई किए जाने के पीछे  सरकार की क्या मंशा है  यह तो साफ हो चुका है  लेकिन यह भी सत्य है  की  इन्हीं डाटा ऑपरेटरों के द्वारा  इस महामारी के दौरान अपनी जान को जोखिम में डालकर  लगातार लोगों को  सेवाएं दी गई है वही  डाटा  ऑपरेटर के कार्य करने के अलावा भी इन लोगों द्वारा अस्पताल में  कई किस्म का कार्य  जनहित में किया जाता है  जिसकी कोई गिनती  नहीं होती और ऐसे कर्मचारियों के साथ  सरकार का  रवैया  दया पूर्ण होने के जगह  यदि क्रूर हो जाए  तो  ऐसे में सरकारी निर्णय के  भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं सूत्र  यह भी बताते हैं कि इस नई एजेंसी  का संबंध भी  सरकार में बैठे  कुछ ऐसे लोगों के साथ है  जिनके बल पर यह लोग  कुछ भी करने पर आमदा है  लेकिन  दूसरी ओर इस कार्य के कारण  सरकार की  किरकिरी भी हो रही है  ऐसे में  मुख्यमंत्री को  इन कार्यों पर ध्यान देते हुए  यह जानकारी हासिल करना चाहिए  कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है जो लोग 6 वर्षों से कार्य दे रहे हैं  आज उन में कौन सी कमी आ गई  जो उन्हें बेरोजगार करने की बातें सरकार में की जा रही है  कहीं यह सब सरकार को  बदनाम करने की बहुत बड़ी साजिश तो नहीं है और सरकार में बैठने वाले लोग ही तो कहीं सरकार को बदनाम करने में नहीं लगे हुए हैं यह सब बड़े सवाल हैं
गौरतलब हो कि बिहार सरकार इन दिनों सभी लोगों के प्रति संवेदनशील है और सभी लोगों के बारे में कुछ ना कुछ सरकार के तरफ से किया जा रहा है खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सभी वर्ग के लोगों को राहत पहुंचाने के साथ सुविधाओं को बढ़ाने और योजनाओं को धरातल पर लाने का कार्य जोरों पर है ऐसे में वर्षों से अपने नौकरी के सुरक्षा को लेकर लड़ाई लड़ रहे डाटा ऑपरेटरों के बारे में भी इन्हें सोचना होगा और इसके तह में जाकर यह पता लगाना होगा कि किन लोगों के इशारे पर डाटा ऑपरेटरों को बार-बार निकालने और परेशान करने की व्यवस्था बनाई जा रही है बिहार सरकार का यही वह विभाग है जो महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ आज के महामारी में सब का साथ दे रहा है और इस विभाग के कार्यों में उथल-पुथल मचा ना वहीं सरकार को भारी न पड़े ऐसे में मुख्यमंत्री को तत्काल संज्ञान लेते हुए इस विषय पर गंभीरता से विचार कर वर्षों से कार्य कर रहे डाटा ऑपरेटरों को सुरक्षित करना होगा
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