भारतीय जीवन बीमा निगम के पॉलिसी धारकों के साथ हो रहा धोखाधड़ी
बक्सर में भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी नहीं करते सीधे-साधे लोगों का काम,पैरवीकारों और लेन देन के चक्कर में पेंडिंग रखते है डेथ क्लेम
राजन मिश्रा, बक्सर
20 अप्रैल 2019
बक्सर- बक्सर के भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी लोगों को दौड़ाने के साथ -साथ इनके साथ धोखाधड़ी के कार्य भी करते हैं पॉलिसी धारकों के मृत्यु के उपरांत इन लोगों द्वारा इतने तरीकों के कागजातों का मांग किया जाता है कि लोग इनके मांगों को पूरा करते -करते हैं थक जाते हैं और अंत में इनके हाथ कुछ नहीं लगता। वहीं कुछ पॉलिसी धारकों का बताना है कि जब भारतीय जीवन बीमा निगम के एजेंट लोगों की पॉलिसी कराने इनके यहां पहुंचते हैं तब केवल आधार कार्ड और एक दो जगह हस्ताक्षर करवाते हुए इनका पॉलिसी कर देते हैं और इनसे बीमा की राशि का प्रीमियम समय से उठाते रहते हैं यदि प्रीमियम समय से कुछ विलंबित हो जाता है तो उसके लिए भारतीय जीवन बीमा निगम के तरफ से रिवाइवल का चार्ज लेते हुए इसे फिर से कंटिन्यू कर दिया जाता है. लेकिन ठीक इसके विपरीत यदि पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाती है तो इनके परिजनों को बीमित राशि देने में यह लोग परिजनों को इतना दौड़ाते हैं कि लोग परेशान होकर बीमित राशि छोड़ देने में ही अपना भलाई समझते हैं, इसी तरह का एक मामला बक्सर के राजपुर प्रखंड से जुड़ा हुआ है जिसमें दया शंकर पांडे नाम के व्यक्ति का एक बीमा कराया गया था जिसकी मृत्यु असमय हो गई और पॉलिसी भी उस समय चल रहा था जब इसकी जानकारी बक्सर के शाखा में दी गई तो शाखा प्रबंधक द्वारा तमाम कागजातों का अवलोकन करते हुए एक रिसिविंग दिया गया, रिसिविंग देते समय यह कहा गया कि आपको कुछ नहीं करना है अब इंक्वायरी के बाद स्वर्गीय दया शंकर पांडे की पत्नी- बेबी देवी के खाते में बीमा की राशि भेज दी जाएगी और एक आदमी का बीमा भी चलते रहेगा, स्वर्गीय दया शंकर पांडे की पत्नी बेबी देवी द्वारा तमाम कागजातों को विभाग में जमा करते हुए एक रसीद की प्राप्ति की गई है जो विभाग द्वारा 30 अगस्त 2018 को ही जारी किया गया था. जिसका पॉलिसी नंबर 519475949 है , लेकिन अभी तक न तो इस पर कोई इंक्वायरी आया नहीं खाते में कोई पैसा जबकि स्वर्गीय दया शंकर पांडे की हुई असमय मौत के बारे में पूरा गांव जानता है सब लोग यह भी जानते कि पति के मौत के बाद बेवा बीबी बेआधारा हो चुकी है बावजूद इसके बेबी देवी का कोई मदद भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा नहीं किया गया बेबी देवी ने यह बताया कि मरने के बाद यह लोग हमारे साथ- साथ पड़ोसी का भी आधार कार्ड व हस्ताक्षर करा कर इन से मंगाए थे,इन्होने यह भी बताया की कुछ लोग इनसे अपने आप को भारतीय जीवन बीमा निगम का एजेंट बताकर रूपए का मांग भी कर रहे थे और कह रहे थे की आपका काम हम जल्द करा देंगे लेकिन पैसा नहीं हनी के कारण इन्होने इनको वापस कर दिया गौरतलब हो कि भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा इस प्रकार की कार्यवाही कहीं से भी उचित नहीं है बीमा करने के समय केवल बीमित लोगों का सिग्नेचर कराया जाना और मरने के बाद आसपास के लोगों का कागजात माँगा जाना यह कहीं से सही नहीं है कुछ केसों में ऐसा भी होता है कि पड़ोसी भी लोगों के दुश्मन होते हैं और अपनी दुश्मनी निकालने के लिए अपना कोई कागजात देना नहीं चाहते ऐसे में जो लोग बीमा करवाए हैं उनका क्या होगा भारतीय जीवन बीमा निगम को सरकारी दस्तावेजों को माध्यम बनाकर बीमा की राशि का भुगतान करने का प्रावधान बनाना चाहिए जब सरकार द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया बावजूद इसके भुगतान का नहीं किया जाना कहीं ना कहीं सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ाना है जरूरतमंद लोगों का रुपया कई महीनों से अपने विभाग में रखना और समय पर उसे नहीं देना भारतीय जीवन बीमा निगम के कार्य-कलापों पर सीधा सवाल खड़े करते नजर आ रहा है
गौरतलब हो कि लोग अपना पेट काटकर अपने बुरे समय के लिए बीमा व बचत का पैसा जुटते है और जब समय पर अपना ही पैसा इनलोगो को नहीं मिलता तो ये लोग बद्दुआ देते है जो कभी भी खाली नहीं जाता ऐसे में बक्सर के पदाधिकारिओं को यह सोचना चाहिए कि लोगो का क्लेम निपटारा कैसे जल्दी हो इनलोगो के टाल मटोल रवैये के कारण भारतीय जीवन बीमा निगम की छवि धूमिल हो रही है और लोगो का मोहभंग भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रति होते जा रहा है जिसका लाभ नई कम्पनियाँ उठा रही है भारतीय जीवन बीमा निगम के उच्चाधिकारिओ को चाहिए की लापरवाह ,निक्कमे और घूसखोर लोगो को चिन्हित करते हुए विभाग से बाहर का रास्ता दिखाए नहीं तो आनेवाले समय में भारतीय जीवन बीमा निगम को ही इसका परिणाम भुगतना होगा
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