अध्यापिकाओं के द्वारा विद्यालय में अध्यनरत दलित छात्र छात्राओं के साथ किया जाता है भेद भाव
छात्र छात्राएं देर से आये तो विद्यालय से भगा जाने की सजा,और अध्यापिका देर से आये तो कौन सजा ???
प्राथमिक विद्यालय के न खुलने का कोई समय है न कोई बंद होंने का कोई समय है,
अक्सर 9 बजे विद्यालय खुलकर 12 बजे ही बन्द हो जाता है विद्यालय
कार्यरत चार अध्यापिकाओं में आपस में सामंजस्य ऎसा कि दो आयें और दो न आयें उपस्थिती की होती है खानापूर्ति
बहराइच। 08 अगस्त ज़िले के परिषदीय विद्यालयों में बेसिक शिक्षा का स्तर वैसे ही दयनीय स्थिति में है ऊपर से पठन - पाठन का कार्य कर रहीं शिक्षिकाओ के कार्य व्यवहार से भी जनपद के स्कूलों में छात्र - छात्राओं का नामांकन घटता जा रहा है, ताजा प्रकरण ब्लाक चित्तौरा के प्राथमिक विद्यालय कल्पीपारा का है चश्मदीदों के अनुसार विद्यालय में नामांकित छात्रा के सुबह 9 बजे विद्यालय में पहुचने पर विद्यालय की शिक्षिका आग बबूला हो गयीं, और फौरन ही छात्रा को कान पकड़ कर धूप में खड़े होंने का आदेश दे दिया, लगभग आधा घंटा धूप में छात्रा का खड़ा रहना चश्मदीदों को न देखा गया और छात्रा को कक्ष में प्रवेश देने का निवेदन अध्यापिका से किया, तभी अध्यापिका नाराज हो गयीं, और कहने लगी कि देर से विद्यालय आना इस लड़की का रोजाना का नियम है जिस पर चश्मदीदों के द्वारा अभिभावकों को सूचित किये जाने के प्रश्न पर कहा कि यह केवल प्राईवेट स्कूलों में होता है, तभी छात्रा रोती हुई अपने घर को चल दी जिस पर चश्मदीदों के काफी अनुनय विनय पर कि बरसात के मौसम में कईयों के घरों में चूल्हा नहीं जलता है तो कृपया एमडीएम का भोजन ही खा ले तब जा कर कार्यरत रसोइया नें दूर जा चुकी छात्रा को वापस स्कूल को बुलाया।
उपरोक्त प्रकरण के सन्दर्भ में चश्मदीदों के द्वारा उच्चाधिकारियों को सूचित कर कार्यवाई किये जाने की मांग किया, जिस पर उच्चाधिकारियों नें जाँच कर कार्यवाई करनें की बात कही है।
खबर आज की सत्ता बहराइच से ब्यूरो चीफ आशीष कुमार की रिपोर्ट
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