विश्व शांति का संदेश लेकर युवा शांतिदूत वर्धा रवाना



रिपोर्ट -अनमोल कुमार/राजन मिश्रा, 21 दिसंबर 2025


पटना । आज के वैश्विक अशांत वातावरण में जब पूरी दुनिया युद्ध, हथियारों की होड़ और हिंसा की आग में झुलस रही है, ऐसे समय में प्रेम यूथ फाउंडेशन द्वारा विश्व शांति, प्रेम, भाईचारा और गांधी दर्शन के संदेश को लेकर एक प्रेरणादायी पहल की गई। युवा आवास, पटना से बापू की कर्मभूमि—सेवाग्राम (वर्धा), महाराष्ट्र के लिए शांति-दूतों के जत्थे को एनजीओ हेल्पलाइन के निदेशक, समाजशास्त्री एवं सीए श्री संजय कुमार झा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।इस अवसर पर श्री संजय कुमार झा ने कहा , “शांति के बिना विकास की कल्पना असंभव है। आज पूरी दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी है। हथियारों के जखीरे बढ़ाने की अंधी होड़ मची हुई है, लेकिन किसी भी युद्ध में सबसे अधिक प्रभावित महिलाएँ, बच्चे और वृद्ध ही होते हैं।

यदि मानवता को बचाना है तो युद्ध नहीं, संवाद; हथियार नहीं, विचार; और घृणा नहीं, करुणा का रास्ता चुनना होगा।उन्होंने आगे कहा कि महात्मा गांधी का अहिंसा और सत्य का दर्शन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना स्वतंत्रता आंदोलन के समय था। गांधी विचार ही विश्व को स्थायी शांति की दिशा दिखा सकता है।

इस अवसर पर प्रेम यूथ फाउंडेशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष, गांधीवादी विचारक  प्रेम  जी ने कहा कि  " गांधी की कर्मभूमि वर्धा से आज भी निकलती है शांति की रोशनी , वर्धा केवल एक स्थान नहीं, यह गांधी दर्शन की जीवंत प्रयोगशाला है. " यहीं सेवाग्राम आश्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1936 से 1946 तक रहकर भारत की आज़ादी की लड़ाई को नैतिक, वैचारिक और आत्मिक दिशा दी। आज भी पूरी दुनिया के लिए गांधी प्रासंगिक हैं, क्योंकि उन्होंने हमें सत्य, अहिंसा, समानता और मानव गरिमा का पाठ पढ़ाया।उन्होंने कहा कि “हर बच्चा जन्म के समय दैविक, दैहिक और जैविक रूप से समान होता है। जाति, धर्म, पंथ और ऊँच-नीच मानव-निर्मित अवधारणाएँ हैं। भिन्नता में एकता भारत की पहचान है और गंगा-जमुनी संस्कृति हमारी शान। किसी भी मनुष्य के साथ जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र या रंग के आधार पर भेदभाव मानवता के विरुद्ध है।”


 प्रेम जी ने महात्मा गांधी की माता पुतलीबाई और संस्कारों की विरासत को समझते हुए कहा कि  महात्मा गांधी के जीवन मूल्यों की जड़ें उनकी माता पुतलीबाई के संस्कारों में थीं। माता पुतलीबाई ने गांधी जी को सत्य, संयम, करुणा, उपवास और सेवा का जो संस्कार दिया, वही आगे चलकर गांधी दर्शन का आधार बना। वर्धा की भूमि पर गांधी जी ने इन्हीं मूल्यों को जीवन और समाज में प्रयोग के रूप में स्थापित किया।

इस अवसर पर गांधी दर्शन पर राष्ट्रीय युवा संवाद वर्धा में देशभर से आए युवाओं के बीच , गांधी दर्शन पर निबंध प्रतियोगिता,महात्मा गांधी के जीवन मूल्यों पर संवाद सत्र,सत्य, अहिंसा और बुनियादी शिक्षा ,नयी तालीम पर चिंतन-कार्यशाला आयोजित की जाएगी। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा को विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में व्यावहारिक रूप से लागू करने की आज सख्त आवश्यकता है।शांति जत्था में शामिल स्वयंसेवक जो इस शांति यात्रा में प्रमुख रूप से भाग लेंगे - आयुष कुमार, कुमार हिमांशु, राहुल कुमार गुप्ता, अविनाश कुमार, पवन कुमार, रोहित कुमार, संतोष कुमार, सपना कुमारी, आरती कुमारी, अमृत राज, आयुषी कुमारी, इंशा आनंद सहित दर्जनों युवा स्वयंसेवक शामिल हैं, जो पूरे देश में गांधी विचार और विश्व शांति का संदेश फैलाने के लिए संकल्पबद्ध हैं।भारत से विश्व तक शांति का संदेश यह यात्रा केवल वर्धा तक सीमित नहीं, बल्कि भारत से विश्व तक शांति, प्रेम, भाईचारे और मानवीय मूल्यों का आह्वान है। आज जब विश्व हिंसा और वैमनस्य की ओर बढ़ रहा है, ऐसे समय में पटना से उठी यह गांधीवादी आवाज़ आशा की नई किरण बनकर उभर रही है।

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