चैती छठ पूजा महान अनुष्ठान चार दिनों तक मनाया जाता है छठ पर्व, जानें छठ पूजा में किस दिन क्या होता है और व्रत के 6 जरूरी नियम


रिपोर्ट- अनमोल कुमार / अरविंद पाठक 

पटना  - चैती छठ पूजा का आरम्भ 12 अप्रैल से शुरू शुरू हो चुका है। चैती छठ को महान अनुष्ठान यमुना छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। चैती छठ नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाता है। चैती छठ व्रत से कुछ जरूरी नियम भी जुड़े हैं, जिनका पालन करने से भक्तों का सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। आइए, जानते हैं चैती छठ की महत्वपूर्ण तिथियां और व्रत के नियम।

चैती छठ चार दिनों तक चलने वाला महापर्व है।

चैत्र माह में आने वाली छठ को चैती छठ के नाम से जाना जाता है। इस साल 2024 में चैती छठ 12 अप्रैल को नहाय-खाय के साथ शुरू हो चुका है। 15 अप्रैल यानी कल सोमवार को सूर्य को अर्ध्य देने के बाद महापर्व का समापन होगा। इस चैती छठ को महापर्व भी कहते हैं क्योंकि पौराणिक मान्यता है कि इस दिन इसके अलावा छठ व्रत को कुमार व्रत भी कहा जाता है। चैती छठ पर स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। मान्यता है कि चैती छठ के नियमों का पालन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए, जानते हैं चैती छठ पूजा के नियम और शुभ मुहूर्त।"

"चैती छठ पूजा शुभ मुहूर्त

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 13 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 4 मिनट पर शुरू हो गई है। वहीं, इसका समापन 14 अप्रैल को आज सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर होगा। चैती छठ नहाय-खाय से शुरू होकर सूर्य अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है। आइए, जानते हैं।

नहाय खाय - 12 अप्रैल 2024, शुक्रवार से ही आरंभ है।

खरना - 13 अप्रैल 2024, शनिवार को था.

संध्या अर्घ्य - 14 अप्रैल 2024, रविवार यानी आज 

 उगते सूर्य को अर्घ्य - 15 अप्रैल 2024, कल सोमवार को है 


चैती छठ, छठ पूजा नियम

छठ पर्व को कुमार व्रत भी कहा जाता है। कुमार भगवान कार्तिकेय को कहते हैं। चैती छठ पर अगर भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है। साथ ही दान से सुख और आरोग्य जीवन भी मिलता है। चैती छठ व्रत पर भगवान कार्तिकेय की पूजा जरूर करें।

चैती छठ पर हमेशा स्नान-दान के बाद ही नहाय-खाय की शुरुआत की जाती है। खाने से पहले भगवान सूर्यदेव और छठ मैय्या का ध्यान जरूर करना चाहिए।

छठ पूजा के दौरान किसी भी बर्तन या फिर पूजा सामग्री को झूठे हाथों से नहीं छूना चाहिए। हर बार हाथ को धोने के बाद ही पूजा में प्रयोग होने वाली चीजों को छूना चाहिए।

छठ पूजा में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद का भी ध्यान रखना चाहिए। फल-फूल आदि खंडित नहीं होने चाहिए। प्रसाद की सामग्री को हमेशा अलग स्थान पर रखें।

छठ पूजा के दौरान जमीन पर आसन बिछाकर ही सोएं। यह भी छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण नियम माना जाता है।

आप जिस भी बर्तन में छठ पूजा का सामान रखें, वे नए होने चाहिए। पुराने बर्तनों में छठ पूजा का सामान नहीं रख जाना चाहिए। खासतौर पर जिन बर्तनों में आप खाना खाते हैं, उन बर्तनों का इस्तेमाल पूजा में न करें।"

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