परमात्मा की संदेश वाहक थी राजयोगिनी दादी जानकी- दादी रतनमोहिनी


सुधांशु कुमार सतीश / राजन मिश्रा 

आबू रोड (राजस्थान) - प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी की चौथी पुण्य तिथि पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी भावांजलि दी। इस अवसर पर ध्यान साधना के बाद संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयेागिनी बीके मोहिनी, बीके जयंति, महासचिव बीके निर्वेर, अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन तथा संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके मुन्नी समेत संस्थान के वरिश्ठ सदस्यों ने अपनी भवनायें दी।


लोगों को सम्बोधित करते हुए संस्थान प्रमुख राजयेागिनी दादी रतमनेहिनी ने कहा कि दादी के अंग संग रही हूॅं। वे हमेशा ही सेवाओं को लेकर एक्टिव रहती थी। विदेश सेवा के लिए हमेशा ही उनकी प्रेरणा मिली। वे हर कार्य खुद ही मानिटर करती थी। जब भी कोई उनके सामने आता था तो दादी की दृष्टि, बोल और कमों से अलौकिक संदेश लेकर जाता था।

कार्यक्रम में संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मोहिनी तथा बीके जयंति ने कहा कि दादी की इच्छा थी कि वो हमेशा ही दीन दुखियों की सेवा करे। लोगों जब अपने घर परिवार और समाज की सेवा कर एक नया मुकाम बनायें। संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी ने कहा कि दादी का जीवन ही संदेश था। उनके हर कर्म में एक निमित्त, निर्माण और सादगी, सच्चाई और सफाई थी। इसलिए हर कोई उनसे जुड़ जाता था।

संस्थान की महासचिव बीके निर्वेर ने कहा कि दादी ब्रह्मा बाबा के साथ जब इस यज्ञ में आयी तबसे लेकर अंतिम श्वांस तक उनका जीवन केवल मानवता की सेवा करना था। जब वो विदेश सेवा पर गयी तो उन्होंने कभी भी यह नहीं सोचा कि कैसे होगी वहॉं की सेवा। बाबा पर इतना अटूट भरोसा था कि उनके हर सोच और संकल्पों में सिर्फ बाबा कही दिखता था।

श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मल्टी मीडिया प्रमुख बीके करूणा, कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, ग्लोबल अस्पताल के चिकित्सा निदेकश डॉ प्रताप मिडढा, दादी जानकी की निजी सचिव रही बीके हंसा समेत बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी श्रद्धासुमन अर्पित की।

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