स्वास्थ्य विभाग की मनमानी से परेशान है डाटा ऑपरेटर विभाग द्वारा इन्हें हटाने की हो रही साजिश   

राजन मिश्रा                         

बक्सर- बक्सर जिले सहित सूबे  के तमाम जिलों में इन दिनों डाटा ऑपरेटर जो पर्ची काटने के साथ दवाई वितरण के कार्यों के साथ साथ अस्पताल में आए इमरजेंसी कार्यों को भी लगातार संभालते लगभग 5 वर्षों से चले आ रहे हैं बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के लोगों को इनके प्रति कोई मानवीय कदम अभी तक नहीं उठाया गया है उल्टे इन लोगों को हटाने की व्यवस्था करने की पूरी तैयारी करते हुए इनके कार्यों को फिर से एजेंसी के माध्यम से कराने का फरमान जारी कर दिया गया है इस फरमान में यह भी बताया गया है कि अब जो भी डाटा ऑपरेटर बहाल किए जाएंगे वह रोस्टर के हिसाब से होंगे वहीं इन लोगों पर आरक्षण की व्यवस्था भी लगाने का प्रबंध सरकार के लोगों द्वारा किया जा रहा है जो सरासर अवैध है 5 साल पहले जब इन की बहाली की गई थी उस समय मे न तो रोस्टर हीं देखा गया नहीं इसका कोई प्रावधान उस समय लगाया गया कार्य भले ही एजेंसी के माध्यम से था लेकिन कार्य विभाग का होता था और इसका भुगतान भी विभाग एजेंसी के माध्यम से डाटा आपरेटरों को कराता था बक्सर जिले में एजेंसी के लोगों द्वारा घोटाले बाजी करने के बाद डाटा ऑपरेटर द्वारा कोर्ट का रुख अपनाया गया तब जाकर विभाग द्वारा इन लोगों का भुगतान डायरेक्ट विभाग द्वारा होने लगा अब फिर से 5 साल बाद विभाग द्वारा नए लोगों को एजेंसी देकर पुराने डाटा आपरेटरों को हटाते हुए मैं डाटा ऑपरेटरों  को बहाल करने की साजिश रची जा रही है ताकि पुराने लोगों को किसी भी तरह से हटाया जा सके और नए लोगों का आगमन कराते हुए कुछ अवैध रूप से कमाया जा सके पुराने एजेंसी के लोगों को भी इसमें दरकिनार किया जा रहा है ताकि नए एजेंसी के लोगों के आगमन से दोहन किया जा सके लेकिन सरकार में बैठे उच्च अधिकारियों को यह बात सोचना चाहिए कि 5 वर्षो से कार्य कराए जाने के बाद किसी को सड़क पर लाकर खड़ा कर देना कितना हद तक सही है नियम चाहे जो भी हो मानवीय ख्याल और विभाग को रखना चाहिए आज तक इतिहास में ऐसा नहीं हुआ है कि पुराने लोगों को कार्य से हटाकर नए लोगों की बहाली उसी जगह पर की जाए और 5 साल मेहनत कराने के बाद 5 साल तक सेवा लेने के बाद किसी को सड़क पर पर लाने की व्यवस्था की जाए रहा सवाल रोस्टर का अनुपालन तो उस समय किया जाना चाहिए था जब इन की बहाली करते हुए इनको पदभार दिया गया और इन से काम कराया जाने लगा आरक्षण उस समय लागू होना चाहिए था जब इन लोगों की बहाली हो रही थी अब जब बहाली हो गई 5 वर्षों तक काम ले लिया गया तो सारे नियमों का अनुपालन कराया जाना कहां तक सही है यह तो सरकार ही बता सकती है गौरतलब हो कि सरकार के इस कार्यवाही से सभी जिले के डाटा आपरेटरों के बीच रोष व्याप्त है और सभी लोग इस मानसिक तनाव में जीने को विवश हैं कि विभाग के लोग उनके साथ क्या करेंगे लेकिन यह तय है कि यदि पुराने लोगों को साजिश के तहत हटाने की कोशिश की गई तो इनका गुस्सा भड़क कर कभी भी सड़क पर आ सकता है अभी कुछ दिन पहले ही भुगतान नहीं होने के कारण इन लोगों द्वारा कई प्रकार से आंदोलन करते हुए भुगतान को अपने खाते में लगाने की व्यवस्था तो कर ली गई लेकिन अभी भी इनका कोई महीने का भुगतान इपीएफ सहित कई मामलों में रुपयों को रोक कर रखा गया है जिसके कारण यह लोग काफी परेशान चल रहे हैं जब भी यह लोग अपनी बात मंत्रियों तक ले जाने की कोशिश करते हैं तो मंत्री लोग अपना पल्ला झाड़ते हुए नियम कानूनों के तहत कार्य करने की बात करने लगते हैं हालांकि इस विभाग के इस पद को केंद्र द्वारा बिहार में लाया गया है और केंद्र सरकार को चाहिए झारखंड के तौर तर्ज पर पुराने लोगों को नियमित करते हुए और भी अधिक प्रशिक्षण देकर अस्पताल के कार्य को गुणवत्तापूर्ण बनाने बनाने का व्यवस्था बनाना चाहिए और केंद्र के लोगों को यह भी चाहिए कि इन लोगों को मानसिक प्रताड़ना न देते हुए पुराने लोगों को अपने जगह पर बरकरार रखना चाहिए और बचे हुए पदों के लिए रोस्टर और नियमों का अनुपालन कराने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि सरकार की छवि भी खराब ना हो और कर्मचारियों में सरकार के प्रति अच्छा संदेश जाए इस समय में देखा जा रहा है कि सरकार के ही कुछ करिंदे स्वास्थ्य विभाग के डाटा आपरेटरों के साथ भेदभाव करते हुए एजेंसी के लोगों से मिलजुल कर मालामाल होने के चक्कर में हैं और डाटा आपरेटरों को सड़क पर लाने के लिए तत्पर है ऐसे लोगों को सरकारी पद से निकाल कर बाहर फेंकते हुए जांच कर यह देखना चाहिए कि पहले से कार्यरत लोगों में आखिर क्या कमी है जो इनको विभाग से अलग करने की साजिश दिशानिर्देशों व नियमों का हवाला देते हुए किया जा रहा है ऐसी परिस्थिति में कहीं ऐसा ना हो कि अस्पताल में कार्य करने वाले लोगों की सेवा करने वाले यह लोग बागी बन जाए और सेवा करने की जगह कुछ और ही करने लगे

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