अध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ व स्वस्थ समाज
मूल्यों को बनाए रखने के लिए योग जरूरी - ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी
रिपोर्ट - अनमोल कुमार / राजन मिश्रा
सुपौल - प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय सिमराही बाजार के द्वाराअध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ व स्वस्थ समाज...
मूल्यों को बनाए रखने के लिए योग जरूरी - ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय सिमराही बाजार के द्वारा स्थानीय ओम शांति भवन में आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ और स्वस्थ समाज के विषयक संगोष्ठी कार्यक्रमका आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम की सुभारम्भ सिमराही सेवा केन्द्र प्रभारी बबिता दीदी, नगर पंचायत के उप मुख्य पार्षद बिनीता देवी,प्याक्स अध्यक्ष कृष्ण कुमार राई, टेकनीया वर्ल्ड स्कूल के डायरेक्ट राकेश कुमार, माउंट आबू राजस्थान से आए हुए भुवन देव भाईजी, शिक्षक सौरव जी, फुलेश्वर चौधरी, ब्रह्माकुमारी बिना बहन, सुमन बहन,ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी इत्यादियो ने संगठित रूपमे दीप प्रज्वलन करके किया।
राजयोगीनी बविता दीदी ने कहा कि स्वच्छ और स्वस्थ समाज के निर्माण में भाइयों और बहनों दोनो का साथ जरूरी है। समाज ऐसा हो जिसमे सबका रिगार्ड रहे । ब्रह्माकुमारीज संस्था समाज में समानता के लिए कार्य करती रही है।मूल्य आत्मा के आंतरिक स्वरूप में निहित हैं। योग के नियमित अभ्यास से ही गुणों को जागृत रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि संतुष्टता जीवन का सबसे बड़ा श्रृंगार है। संतुष्टता भरपूरता का अनुभव कराती है। एक संतुष्ट व्यक्ति ही अपनी ऊर्जा को बचाए रख सकता है।
ईश्वरीय स्मृति से ही मूल्यों का संवर्धन सम्भव
बबिता दीदी ने कहा कि योग जीवन को संयमित बनाता है। संयम और नियम आदर्श जीवन का निर्माण करते हैं। वास्तव में ईश्वरीय स्मृति ही योग है। परमात्मा की याद से ही हमारे आंतरिक मूल्य जागृत होते हैं। जितना हम गुणों को अपनाते हैं, उतना ही शक्तिशाली बनते हैं। आत्मिक अभ्यास से ही हम अनेक प्रभावों से मुक्त बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि सदा सुखी रहने के लिए संसार में रहते भी उससे प्रभावित न हों। उन्होंने कहा कि जीवन में हमारे सम्बन्धों का बहुत असर पड़ता है। अच्छे सम्बन्ध हमारे कार्य को सरल बना देते हैं।
मुख्य अतिथि उप मुख्य पार्षद बिनीता देवी ने भी ब्रह्माकुमारीज संस्था के डिसिप्लिन की तारीफ करते हुए संस्था के आध्यात्मिक योगदान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि संस्था का ओम शांति मंत्र, कहने मात्र से ही शांति का आभास होने लगता है।
इस अवसर पर कुमारी अक्षरा कुमारी ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में सिमराही लगायत्त बिभिन्न पथालाके बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
मुख्यालय माउंट आबू राजस्थान से आए हुए ब्रह्माकुमार भुवन भाईजी ने कहा बचपन से ही राजयोग के अभ्यास के द्वारा आज इस महानता को हासिल किया। उन्होंने कहा कि जयंती दीदी अपनी विशेष योग्यताओं के कारण ही विदेश के अनेक देशों में सेवाओं के निमित्त बनी। उन्होंने कहा कि ये संसार एक बहुत सुंदर रंगमंच है। जिसमें हरेक को अपना अलग-अलग किरदार मिला है। हमें दूसरों के रोल को देख परेशान नहीं होना है। बल्कि अपनी भूमिका को असरदार एवं दूसरों के लिए प्रेरणादायक बनाना है। कार्यक्रम में काफी संख्या में गणमान्य लोगों सहित संस्था के अनेक सदस्य उपस्थित थे। मंच संचालन बीके किशोर भाईजी ने किया।मौके पर नगर पंचायत के उप मुख्य पार्षद बिनीता देवी,प्याक्स अध्यक्ष कृष्ण कुमार राई, टेकनीया वर्ल्ड स्कूल के डायरेक्ट राकेश कुमार, माउंट आबू राजस्थान से आए हुए भुवन देव भाईजी, शिक्षक सौरव जी, फुलेश्वर चौधरी, ब्रह्माकुमारी बिना बहन, सुमन बहन,ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी,इंद्रदेव चौधरी, सावित्री देवी,सतनारायण भाई, रामफल भाई ब्रह्मदेव भाई हरि नारायण भाई इत्यादि सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे। स्थानीय ओम शांति भवन में आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वच्छ और स्वस्थ समाज के विषयक संगोष्ठी कार्यक्रमका आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम की सुभारम्भ सिमराही सेवा केन्द्र प्रभारी बबिता दीदी, नगर पंचायत के उप मुख्य पार्षद बिनीता देवी,प्याक्स अध्यक्ष कृष्ण कुमार राई, टेकनीया वर्ल्ड स्कूल के डायरेक्ट राकेश कुमार, माउंट आबू राजस्थान से आए हुए भुवन देव भाईजी, शिक्षक सौरव जी, फुलेश्वर चौधरी, ब्रह्माकुमारी बिना बहन, सुमन बहन,ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी इत्यादियो ने संगठित रूपमे दीप प्रज्वलन करके किया।
राजयोगीनी बविता दीदी ने कहा कि स्वच्छ और स्वस्थ समाज के निर्माण में भाइयों और बहनों दोनो का साथ जरूरी है। समाज ऐसा हो जिसमे सबका रिगार्ड रहे । ब्रह्माकुमारीज संस्था समाज में समानता के लिए कार्य करती रही है।मूल्य आत्मा के आंतरिक स्वरूप में निहित हैं। योग के नियमित अभ्यास से ही गुणों को जागृत रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि संतुष्टता जीवन का सबसे बड़ा श्रृंगार है। संतुष्टता भरपूरता का अनुभव कराती है। एक संतुष्ट व्यक्ति ही अपनी ऊर्जा को बचाए रख सकता है।
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