बक्सर का सदर अस्पताल बना प्रशिक्षण केंद्र सह प्रचार - प्रसार का अड्डा


इलाज से ज्यादा रेफर कर दिए जाते हैं मरीज

डॉक्टर लोकल में प्रेक्टिस करने का उठाते हैं नाजायज फायदा , रोगी को डरा के कर दिया जाता है रेफर, दलाल पूरी तरह हावी 

राजन मिश्रा (विशेष रिपोर्ट) 

बक्सर - जिले के सदर अस्पताल मे इन दिनों व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है यहां मरीजों को इलाज के जगह रात भर परेशान करने के बाद सुबह में रेफर करने का काम कर दिया जाता है और पूछने पर यह बताया जाता है कि मरीज की स्थिति ठीक नहीं है, क्रिटिकल है बाहर ले जाना जरूरी है यहां व्यवस्था नहीं है ऐसे में सवाल यह है कि जब डॉक्टर को काम समझ में नहीं आता है तो मरीज को रोकते क्यों है गरीब मरीज समय नहीं रहने पर कहां जाएगा इसके पीछे यह कारण है कि यहां लोकल डॉक्टर के बल पर अस्पताल संचालित किया जा रहा है अस्पताल में कार्य करने वाले बहुत से लोग मेडिकल संबंधी अपना अन्य कार्य व्यवसाय के रूप में करते हैं इस कारण से इन लोगों को समय नहीं मिलता की यह मरीजों का काम करें  यहां के डॉक्टर अस्पताल को अपने प्रचार-प्रसार का अड्डा बना लिए हैं वह यहां आते तो मरीज देखने के नाम पर है लेकिन यह लोग अपने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले क्लीनिक का प्रचार प्रसार करते रहते हैं यहां से मरीज को ट्रांसफर करना इनके लिए बाएं हाथ का काम है इसके लिए इन लोगों के कारिंदे बकायदे घूमते रहते हैं यहां कार्यरत सभी डॉक्टरों का वही हाल है यह लोग अपना गढ़ बना लिए हैं यह लोग कहते रहते कि हम लोगों का कुछ नहीं होगा जैसे चल रहा है वैसे ही चलेगा दूसरी तरफ देखा जाए तो अस्पताल के कार्य लिए कॉलेज में पढ़े नए लड़कों को ट्रेनिंग के नाम पर लाकर रोगियों का इलाज कराया जा रहा है जो खतरे से खाली नहीं है एक तरफ प्राइवेट अस्पतालों पर तरह तरीकों के नियम कानून का बोझ लादकर प्राइवेट अस्पतालों को बंद कराने का कार्य किया जा रहा है वहीं दूसरी और सरकारी अस्पताल में इलाज की कोई व्यवस्था ही नहीं है ऐसे में रोगियों को मारने का काम सरकार कर रही है बक्सर में तत्काल बाहर के डॉक्टरों की बहाली होनी चाहिए साथ में ड्यूटी के दौरान  इनके प्राइवेट प्रैक्टिस पर बैन लगना चाहिए ताकि यह लोग गलत ना कर सके अस्पताल के कार्यरत कर्मियों के व्यवसाय पर भी ध्यान देना चहिए कही अस्पताल को धनगाही  का माध्यम तो नहीं बनाया जा रहा सभी अस्पताल कर्मियों की जांच होनी चाहिए 

गौरतलब हो कि 31 मई को सुनदा कुमारी उम्र लगभग २५ वर्ष नाम की युवती को डिलीवरी के लिए भर्ती कर लिया गया और रात भर रखने के बाद सुबह में डरा धमका कर भगा दिया गया जिसकी लिखित शिकायत सिविल सर्जन  से की गई है जिसमें यह शिकायत एडीएम और अपर सचिव स्वास्थ्य सेवाएं , पटना को भी दिये जाने की बातें कही गई है बताया जाता है कि डॉक्टर के ऐसे दुर्व्यवहार से आम जनता आए दिन परेशान रहती हैं यहां के कई स्टाफ वर्षों पुराने हो गए हैं लेकिन पैरवी भी के दम पर मजा मार रहे हैं ऐसे लोगों चिन्हित  कर अस्पताल से दूर भगाना होगा ऐसे लोगों के चलते अस्पताल के साथ-साथ पूरा जिला बदनाम हो रहा है

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