टूटते साँसों की डोर थामते आक्सीजन बैंक


रिपोर्ट - अनमोल कुमार / राजन मिश्रा 

पटना - लाइफ लाइन औक्सीजन बैंक की सेवा पूर्णतः निःशुल्क है । आज इस भौतिक युग मे जहाँ लोग नौ के निन्यानवे बनाने में लगा है । ऐसे में बैंक के कर्मवीर योद्धा लोगो की सेवा में जुटे है । कोरोना के शुरुआती काल में फतुहा कल्याणपुर में एक शिक्षक एवं खुसरुपुर में एक दवा दुकानदार की मौत ऑक्सीजन की कमी से हो गई थी। प्रेमयूथ फाउंडेशन के संस्थापक गांधीवादी प्रेमजी पर इस घटना का व्यापक असर पड़ा और उन्होंने कुछ करने को ठान लिया। इसके बाद प्रेमयूथ फाउंडेशन कार्यसमिति की बैठक बुलाकर कोरोना से लड़ने की योजना बनाई गई। सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि एक ऑक्सीजन बैंक खोला जाय ताकि ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों पर अंकुश लग सके। बैंक खोलने का विचार, कैबिनेट के फैसले को मूर्त रूप देना किसी चुनौती से कम नहीं था। उस वक्त पूर्ण लॉक डाउन लगा था, लोगों का घरों से निकलना मुश्किल था और धन का भी घोर अभाव था। पर टीम की जागृत चेतना के साथ फाउंडेशन को अन्य सुहृद्जनों का साथ मिला और लोग इस मिशन को कामयाब करने में जुट गए। ऑक्सीजन बैंक खोलने का प्रस्ताव उस समय के तत्कालीन फतुहा के एएसपी मनीष कुमार के बीच लाया गया, उनसे चर्चा की गई। उन्होंने टीम की इस सोंच के प्रति हृदय से आभार प्रकट करते हुए अपनी सहमति प्रदान की और टीम को भरपूर सहयोग देने का वादा किया। इसके बाद तो मानो टीम को उड़ान के पंख लग गए। टीम के सभी सदस्य प्रेमजी की अगुआई में जुट गए। ऑक्सीजन बैंक खोलने की इस मुहिम में एएसपी मनीष कुमार के अलावा हिंदुस्तान के पत्रकार आनंद कुमार पाठक, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. उमेश प्रसाद यादव, चंदन पटेल, कपिलदेव प्रसाद, शिशुपाल कुमार, मो. राजू, राजदीप, गौरव गुप्ता आदि जुड़ गए। इसके बाद ऑक्सीजन बैंक खोलने को एक समिति का गठन किया गया और *लाइफलाइन ऑक्सीजन बैंक* के रूप में दरियापुर, फतुहा में बैंक खुल गया। बैंक खोलने में आम से खास लोगों का भरपूर सहयोग मिला और लोगों ने दिल खोलकर दान किया। बैंक में अभी पर्याप्त छोटे-बड़े सिलेंडर और कंसंट्रेटर उपलब्ध हैं। बैंक के खुलते ही बिहार, बंगाल, झारखंड से लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए फतुहा पहुंचने लगे। बैंक की कार्यशैली से प्रभावित होकर लोगों की सुविधा के लिए कई समाजसेवी आगे आए और देखते ही देखते खुसरुपुर, बख्तियारपुर, दनियावां, नालंदा, वैशाली जहानाबाद आदि जगहों पर भी कई शाखाएं खुल गईं। ऑक्सीजन सिलेंडर की सेवा पूर्णतः निःशुल्क है एवं कोरोना काल में हर तबके के सैंकड़ों लोगों को 24 घंटे ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराया गया। बैंक के पास लिमिट संसाधन होने के बावजूद कइयों की जान बचाई गई। ऑक्सीजन मैन गौरव राय ने कोरोना में जो कार्य किए और बैंक के लिए जो योगदान दिया वह उल्लेखनीय है। कोरोना काल में ही पुलिस इंस्पेक्टर सुजीत कुमार ने ऑक्सीजन बैंक को ऑक्सीजन के लिए कॉल किया। बताया कि मेरा ऑक्सीजन लेबल काफी नीचे पहुंच गया है। मैं पटना में अपने आवास पर हूं हमें ऑक्सीजन की जरूरत है कृपया जल्द से जल्द ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करा दें। यह उस समय बड़ी चुनौती थी। लोग अपने कोरोना संक्रमित परिवार को छोड़कर भाग रहे थे, पुत्र पिता को कंधा नहीं दे रहा था ऐसे में घर-घर जाकर ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाना और लगाना बैंक के लिए एक बड़ी चुनौती थी। पुलिस इंस्पेक्टर सुजीत कुमार की पीड़ा बैंक की ओर से ऑक्सीजन मैन गौरव राय को बताई गई। उन्होंने दस मिनट के अंदर सुजीत कुमार जी के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध किया और उनके घर पर पहुंचाकर लगाया। भगवत्कृपा से उनकी जान बच गई। हद तो तब हो गई जब लोग बैंक को शव उठाने के लिए भी कॉल करने लगे। उस समय भी बैंक पीछे नहीं हटा और उनके स्वयंसेवकों ने हार नहीं मानी। उस वक्त राहुल और प्रेरणा देवदूत बनकर आगे आए और अनेक लाशों को डिस्पोजल करने-करवाने में अभूतपूर्व प्रतिभा का प्रदर्शन किया। बैंक की ओर से कोरोना काल में मास्क, साबुन, सैनेटाइजर, विटामिन सी की गोलियां, भोजन के पैकेट आदि के वितरण समय-समय पर किए जाते रहे साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाया जाता रहा। आगे चलकर ऑक्सीजन बैंक ने खाली सिलेंडर भरवाने का जिम्मा उठाया और जरूरतमंदों को फ्री में सिलेंडर भरवा कर उपलब्ध कराया। इसके लिए राजेंद्र नगर रोड नंबर 2 में सेंटर खोला गया जहां पर बड़े सिलेंडर से छोटे सिलेंडर मुफ्त में भरे जाते थे। बैंक को सुचारू रूप से चलाने में इंडस्ट्रियल एरिया स्थित बंसी ऑक्सीजन प्लांट, सबलपुर स्थित पाटलिपुत्र ऑक्सीजन प्लांट का काफी सकारात्मक सहयोग मिला। बैंक के सहयोग में सांसद रविशंकर प्रसाद, विधायक डॉ. रामानंद यादव, तत्कालीन ग्रामीण एसपी कांतेश मिश्रा, डीएसपी राजेश कुमार मांझी के अलावा कई बीडीओ, सीओ, सीडीपीओ, थानाध्यक्ष, पुलिस पदाधिकारी, व्यवसायियों का बहुत बड़ा हाथ रहा। इधर बैंक के कर्मवीर दिन हो या रात किसी भी समय हर तरह की तरह मदद के लिए 24 घंटे खड़े रहे और अभूतपूर्व सेवा दी। आगे चलकर बैंक की ओर से पीपीई किट का भी वितरण किया गया जिसका दिलीप कुमार, देवानंद ने संयोजन करते हुए कार्य का बखूबी निर्वाहन किया।

जाड़े के मौसम में बैंक की ओर से हजारों लोगों को गरम कपड़े उपलब्ध कराए गए। इस अभियान में शिशुपाल का काफी सराहनीय सहयोग रहा। रवि प्रकाश, रानी, हिमांशु शर्मा, नैंसी ने पीड़ितों के घर-घर जाकर अपनी सेवाएं दीं। आज भी बीमारी के शिकार लोगों के परिजन ऑक्सीजन के लिए पहुंच रहे हैं। फोरलेन एवं एसएच से जुड़े होने के कारण प्रतिदिन सिलेंडर की मांग होती है। बैंक की सेवा निरंतर जारी है तथा इसकी अन्य शाखाएं खोलने पर भी विचार किया जा रहा है। उम्मीद है बहुत जल्द इसे कार्य रूप दे दिया जाएगा।

Share To:

Post A Comment: