जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के कारण बिहार का राजनीतिक तापमान गरमाया 

जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अब ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए रणनीति बनाऐंगें। प्रशांत किशोर ने टीएमसी के साथ अगले विधानसभा चुनाव में काम करने के लिए बाकायदा कांट्रैक्ट भी साइन किया है

राजन मिश्रा /गणेश पांडे 
8जून  2019 

पटना-  भाजपा - जदयू के रिश्ते में आई खटास के बीच जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष द्वारा भाजपा के कट्टर विरोधी ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीति बनाने  की खबर से बिहार का राजनीतिक तापमान एक बार  फिर गरमा गया है। एक तरफ एनडीए के नेता अवाक हैं तो दूसरी ओर महागठबंधन के नेता कई सवाल उठा रहे हैं।रणनीतिकार पीके एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं और अटकलों का बाजार गरम हो गया है।खबर है कि जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अब ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए रणनीति बनाऐंगें। प्रशांत किशोर ने टीएमसी के साथ अगले विधानसभा चुनाव में काम करने के लिए बाकायदा कांट्रैक्ट भी साइन किया है।सवाल है कि प्रशांत किशोर के इस फैसले को क्या जदयू का पार्टी संविधान इस बात की इजाजत देता है। क्या इसके लिए नीतीश कुमार की सहमति ली है?

इधर शुक्रवार को इस मामले पर जदयू के संविधान और पार्टी स्टैंड के बारे में पूछने पर जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केसी त्यागी ने प्रशांत किशोर का बचाव किया। त्यागी ने कहा कि जेडीयू में होना उनकी पॉलिटिकल फिलॉसफी है। लेकिन उनकी कम्पनी की कोई पॉलिटिकल फिलॉसफी नहीं है। प्रशांत किशोर यह कम्पनी ही ममता के लिए काम करने जा रही है। केसी त्यागी ने कहा कि पीके कई राजनीतिक दलों के लिए काम कर चुके हैं। यह ठीक ऐसा है जैसे बीएसएनएल कम्पनी के फोन का सभी लोग इस्तेमाल करते हैं। प्रशांत किशोर की कम्पनी भी सबके लिए काम कर सकती है। डॉक्टर भी कई पार्टियों के पदाधिकारी होते हैं। लेकिन वे सबका इलाज करते हैं। उसी तरह प्रशांत किशोर भी अपना काम कर सकते हैं।उधर,प्रशांत किशोर के ममता बनर्जी से जुड़ने की खबर के बाद जदयू प्रवक्‍ता अजय आलोक ने तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की थी। उन्‍होंने कहा कि पार्टी की मंजूरी लिए बिना प्रशांत किशोर दूसरी पार्टी से नहीं जुड़ सकते। श्री त्यागी और अजय आलोक के बयानों से साफ है कि प्रशांत किशोर को लेकर जदयू में एक राय नहीं है जबकि वे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व मुख्यमंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के करीबी हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले जब प्रशांत किशोर ने नीतीश को लेकर एनडीए गठबंधन के प्रश्न पर कुछ बड़बोलापन दिखाया था तब जदयू के कई बड़े नेताओं, यहां तक कि सीएम नीतीश कुमार ने भी उन्हें फटकार लगाई थी। अब देखना यह है कि टीएमसी से पीके के बने रिश्ते पर नीतीश कुमार की क्या प्रतिक्रिया आती है।इस पर सीएम  मौन बने रहे तो इसके भी स्पष्ट मायने निकाले जाऐंगें।

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