भाषा हमारी अस्मिता की पहचान है- प्रवीण मोहन
 

राजन मिश्रा /गणेश पांडे
15.05.2019

हाजीपुर- भाषा सिर्फ हमारी अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, अपितु साहित्यिक, सांस्कृतिक अस्मिता की पहचान भी है ।आज हिंदी न सिर्फ भारतीय विश्वविद्यालयों में बल्कि विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही है और हिंदी भाषा के प्रति विश्व समुदाय का दृष्टिकोण बदला है । अब लोग हिंदी सीखने के लिए लगातार प्रयत्न कर रहे हैं,चूँकि यह रोजगार का एक प्रमुख माध्यम भी है । पहले पासपोर्ट अंग्रेजी में जारी होता था, परंतु अब अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी यानी द्विभाषी पासपोर्ट जारी किया जाता है । आज राजभाषा विभाग, पूर्व मध्य रेल द्वारा आयोजित हिंदी कार्यशाला  अवसर पर मुख्य अतिथि एवं प्रधान वक्ता के रूप में उपस्थित श्री प्रवीण मोहन सहाय, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी, विदेश मंत्रालय, पटना ने ये बात कही । उल्लेखनीय है कि पूर्व मध्य रेल में राजभाषा के प्रचार-प्रसार को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न विभागों के लिए लगातार कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है । आज का कार्यशाला  रूप से लेखा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आयोजित किया गया था । इस अवसर पर बोलते हुए लेखा विभाग के वरि. अधिकारी श्री अशोक कुमार प्रजापति ने कहा कि समय के साथ भाषा बदलती रहती है और हमे में इस बदलाव से निरंतर संगति बनाये रखनी चाहिए । उन्होंने राजभाषा विभाग को उसकी पहलकदमी के लिए बधाइयाँ दीं साथ ही राजभाषा विभाग से आग्रह किया कि रेल के विभिन्न विभागों में एक समान यूनिकोड फॉट की  सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए ताकि अधिकारी और कर्मचारी सहजता से हिंदी में काम कर सके । इस अवसर पर उपपस्थित वरि. लेखा अधिकारी श्री आदित्य आनंद ने हिंदी में कार्य संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय सुझाए साथ  ही अपने अनुभवों को साझा किया । मौके पर उपस्थित वरि. लेखा अधिकारी श्री राहुल कुमार राय ने कहा किहिंदी भाषा में हर समस्याओं से लड़कर विजय प्राप्त करने की क्षमता है और वे आश्वस्त हैं कि आज के उदारीकरण औरभूमंमंडलीकरण के दौर में भी यह भाषा निरंतर जनाकांक्षाओं की पूर्ति करती रहेंगी । उप-मुख्य लेखाधिकारी श्री मधुसूदनन टी.वी. ने मौके पर कहा कि उनकी भाषा तमिल है और मुख्यालय हाजीपुर में कार्य करते उन्होंने हिंदी मेंलिखना और बोलना सीखा और इससे वे पूर्व की अपेक्षा अधिक समृद्ध हुए हैं । उन्होंने सभी से आग्रह किया कि बिना हिचक  और झिझक के सभी हिंदी में काम करें इससे वे प्रकारांतर से राष्ट्र की सेवा तो करेंगे ही, भारत सरकार की भाषा नीति का अनुपालन भी करेंगे । कार्यक्रम का संचालन करते हुए उप मुख्य वाणिज्य प्रबंधक सह उप मुख्य राजभाषा अधिकारी श्री दिलीप कुमार ने हिंदी की वैश्विक स्थिति से लेकर सरकारी क्षेत्र में हिंदी की दशा-दिशा पर विस्तार से अपने अनुभवों को साझा किया । उन्होंने कहा कि जिस प्रकार एक दक्षिण भारतीय उत्तर भारत की भाषा को सीखता और भाषा को जानने-समझने के लिए उसकी ललक होती है उसी प्रकार उत्तर भारत के लोगों को भी दक्षिण भारत भाषाओ को सीखना चाहिए । इससे हमारा अनुभव क्षेत्र व्यापक और समृद्ध होता है ।इस कार्यशाला में लेखा विभाग से संबंधित विभिन्न अनुभागों के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे । इनमें संजय  कुमार झा, किशोर कुमार, रंजीत कुमार, सुधीर कुमार झा, सुरेन्द्र प्रसाद, कमलेश कुमार सिंह आदि उपस्थित थे ।
इस कार्यशाला का समापन राजभाषा अधिकारी श्री अशोक कुमार श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ ।इन तमाम तथ्यों की जानकारी जनसम्पर्क पदाधिकारी ,पूर्व मध्य रेल ,राजेश कुमार द्वारा दी गई है 

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