दिव्य ज्योति जागृती संस्थान द्वारा आयोजित हरि कथा में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़



रिपोर्ट - अनमोल कुमार / गणेश पांडे 

दिव्य ज्योति जागृती संस्थान द्वारा प्रखंड के महथौर गांव में सोमवार से आयोजित श्री हरि कथा को सुनने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। कार्यक्रम की शुरुआत सोमवार को मंगल शोभा यात्रा एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। कथा व्यास महाराज आशुतोष जी की शिष्या साध्वी अमृता भारती,पुष्पा भारती,रुपम भारती, स्वामी वीरेन्द्रानंद समेत गायक पवन जी,तबला वादक रामचन्द्र जी एवं ऑक्टोपैड धीरज कुमार केे कथा वाचन एवं संगीत संयाजन से लोग प्रसन्न दिख रहे हैं।प्रवचन के दौरान संतों एवं साध्वियों ने कहा कि भारत विश्व का हृदयस्थली है। जहॉ अब तक निराकार ईश्वरीय सत्ता बारंबार साकार स्वरुप में अवतरित होता रहा है। इसलिए भारत भूमि को अवतारी सत्ताओं की निवास स्थली बताई जाती है। वक्ताओं ने जिक्र किया कि अक्सर जन-मानस इस तरह का प्रश्न करते हैं कि भगवान को विविध रूपों में अवतार लेने की आखिर आवश्यकता क्यों पड़ जाती है ? माना जाता रहा है कि प्रभु का संसार में अवतरण धर्म की स्थापना एवं दुष्टों के संहार को लेकर होता आया है। लेकिन जिस  प्रभु की इच्छा मात्र से ब्रह्मांड का निर्माण और संहार हो जाता है ऐसे प्रभु के लिए धर्म की स्थापना करना कठिन नहीं है। प्रभु की लीलाओं मात्र को मन और बुद्धि से समझना अत्यंत कठिन है। अर्जुन को तो महाभारत काल में लंबी चौड़ी गीता का उपदेश प्रभु ने सुनाया परंतु  तारा ,प्रभु हनुमान ,शबरी, राधा आदि भक्तों  पर प्रेम लूटने ईश्वर को आना पड़ता है। भगवान शिव भी मां पार्वती से रामचरितमानस में कहते हैं कि प्रभु का चरित्र इतना विस्तृत,विशाल और अलौकिक है कि कहा नहीं जा सकता कि प्रभु किस हेतु अवतार लेते हैं! वास्तव में प्रभु के प्रकट होने के अनेकों कारण हैं और सभी परम विलक्षण भी हैं। साकार ईश्वर जनमानस को सत्यम शिवम सुंदरम का प्रत्यक्ष साक्षात्कार कराने आते हैं। प्रभु प्रत्येक जीव के प्राणाधार हैं। वि़द्वजनों एवं संतों की संगति में हरि कथा के द्वारा ईश्वर के निष्काम लीलाओं की अनुभूति जन मानस को कराया जाता है। कहा भी गया है कि हरि ’’अनंत हरि कथा अनंता ’’...........

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