मातृत्व दिवस पर माँ को समर्पित
रचना - अनमोल कुमार / गणेश पांडे
माँ- दुःख में सुख का एहसास है,
माँ - हरपल मेरे आस पास है।
माँ- घर की आत्मा है,
माँ- साक्षात् परमात्मा है।
माँ- आरती, और दिप है,
माँ- गीता और भागवत है।
माँ- ठण्ड में गुनगुनी धूप है,
माँ- उस ईश्वर का ही एक रूप है।
माँ- तपती धूप में साया है,
माँ- आदि शक्ति महामाया है।
माँ- जीवन में प्रकाश है,
माँ- निराशा में आस है।
माँ- महीनों में सावन है,
माँ- गंगा सी पावन है।
माँ- वृक्षों में पीपल है,
माँ- फलों में श्रीफल है।
माँ- देवियों में गायत्री है,
माँ- मनुज देह में सावित्री है।
माँ- ईश् वंदना का गायन है,
माँ- चलती फिरती रामायन है।
माँ- रत्नों की माला है,
माँ- अँधेरे में उजाला है,
माँ- बंदन और रोली है,
माँ- रक्षासूत्र की मौली है।
माँ- ममता का प्याला है,
माँ- शीत में दुशाला है।
माँ- गुड सी मीठी बोली है,
माँ- दिवाली और होली है।
माँ- इस जहाँ में हमें लाई है,
माँ- की याद हमें अति की आई है।
माँ- दुर्गा माई है,
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है।
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है।
दुनिया की सभी माँओं को दंडवत प्रणाम करता हूँ।
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