बक्सर में धान विक्रय को लेकर किसान है परेशान


किसानों के धान को उचित मूल्य पर सरकार शीघ्र करें खरीदारी- भरत मिश्रा

गणेश पांडे / राजन मिश्रा

25 नवंबर 2020

बक्सर-किसान इन दिनों सरकारी उपेक्षा का शिकार बने हुए हैं अपना लागत लगाकर ध्यान उपजा कर और किसान इस चक्कर में है कि इस धान को कहां बेचा जाए जहां पर इसका रेट उचित मिले लेकिन हर साल की भांति इस साल भी सरकार के दिशा निर्देशों के बावजूद अभी तक सरकारी तौर पर किसानों से धान की खरीदी नहीं की गई है ना ही कहीं सरकारी तराजू धान खरीदारी के लिए लगा है जबकि धान किसानों के खलिहान में पहुंच चुके हैं धान की खरीदारी संबंधी कोई भी प्रक्रिया कार्यान्वित नहीं हो सकी है जिसके कारण किसान इसे औने पौने दामों पर बेचकर अपनी भरपाई करने की कोशिश में लगे हुए हैं सूत्र बताते हैं कि जिले के कई प्रखंडों राजपुर, चौसा, इटाढी सहित लगभग सभी प्रखंडों के किसान इन दिनों विवश है कि कटे हुए धान आखिर किसे बेचे. बताया जाता है कि लगभग 80 फ़ीसदी किसान बिचौलियों को अपने धान को बेचने को विवश होते हैं क्योंकि समय से सरकार द्वारा इसकी खरीदी नहीं की जाती है किसानों के पास यही रास्ता बचता है कि यह लोग अपना धान कम रेट में बिचौलियों के हाथों बेच दें और बिचौलिए सरकारी मिलीभगत से धान को फिर सरकार के गोदामों तक पहुंचा देते हैं और बीच का फायदा इन लोगों के जेब में चला जाता है ऐसे में मेहनत कर धान उगाने वाला किसान हाथ मलते रह जाता है और किसी भी प्रकार का फायदा इनको नहीं पहुंचता है जो काफी शर्मसार है

गौरतलब हो कि इस मामले का आकलन जदयू के राज्य सलाहकार समिति के सदस्य भरत मिश्रा द्वारा करते हुए सरकार से यह मांग किया गया है कि किसानों के धान की खरीदारी शीघ्र हो ताकि किसानों को नुकसान का सामना नहीं करना पड़े भरत मिश्रा द्वारा यह भी कहा गया कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपने मेहनत और पैसे लगाने वाले किसानों के हाथ कुछ नहीं लगता और बिचौलिए मालामाल हो रहा है ऐसे में सरकार को संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए और धान की खरीदारी सरकारी तौर पर शीघ्रातिशीघ्र  कराने की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि किसान समृद्ध हो सके उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को हो रही परेशानियों से लगातार सरकार को अवगत कराते रहेंगे ताकि किसानों का भला हो, एक तरफ सरकारी खरीद की कोई व्यवस्था नहीं है तो दूसरी तरफ इसी समय में बैंकों द्वारा किसानों से ऋण वसूली का दबाव भी बढ़ा दिया जाता है ऐसे में लघु एवं सीमांत किसान अपने मान सम्मान को बचाने के लिए ओने पौने दामों में धान बेचकर अपने कर्ज का कुछ हिस्सा तो चुका देते हैं लेकिन पूर्णतया कर्ज से मुक्त नहीं हो पाते ऐसे में किसान कर्ज के बोझ तले दबते चले जाते हैं और कभी भी उबर नहीं पातेऐसे में सरकार को इन दोनों बिंदुओं बैंक वसूली और धान खरीदी पर स्पष्ट दिशा निर्देश देते हुए किसानों का हित सोचना होगा ताकि क्षेत्र का विकास हो सके

 शिवम हॉस्पिटल मेन रोड भलुंहा, राजपुर, बक्सर, बिहार

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