कैबिनेट ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत ‘शिशु ऋणों’ की त्वरित अदायगी पर 12 माह की अवधि के लिए 2% ब्याज सब्सिडी को मंजूरी दी


ऋणों की नियमित अदायगी को प्रोत्साहित किया जाएगा

यह योजना ‘कोविड-19’ से उत्‍पन्‍न व्यवधान से निपटने में छोटे कारोबारियों की मदद करेगी

राजन मिश्रा
24 JUN 2020 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज पात्र उधारकर्ताओं को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत सभी शिशु ऋण खातों पर 12 माह की अवधि के लिए 2% की ब्याज सब्सिडी देने की योजना को मंजूरी दे दी।
यह योजना उन ऋणों के लिए मान्‍य होगी जो इन मानदंडों को पूरा करते हैं - 31 मार्च, 2020 को बकाया थे; और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआईके दिशा-निर्देशों के अनुसार 31 मार्च 2020 को तथा योजना की परिचालन अवधि के दौरान गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीएश्रेणी में नहीं थे।
ब्याज सब्सिडी उन महीनों के लिए देय होगीजिनमें खाते एनपीए की श्रेणी में नहीं आते हैं। इनमें वे महीने भी शामिल हैजिनमें खाते एनपीए बनने के बाद फिर से निष्‍पादित परिसंपत्ति बन जाते हैं। यह योजना लोगों को प्रोत्साहित करेगी जो ऋणों की नियमित अदायगी करेंगे।
योजना की अनुमानित लागत लगभग 1,542 करोड़ रुपये होगी जो भारत सरकार द्वारा मुहैया कराई जाएगी।
पृष्ठभूमि:
यह योजना एमएसएमई से संबंधित कई उपायों में से एक उपाय को लागू करने के लिए हैजिनकी घोषणा ‘आत्‍मनिर्भर भारत अभियान के तहत की गई है। पीएमएमवाई के तहत आय सृजन गतिविधियों के लिए दिए जाने वाले 50,000 रुपये तक के ऋणों को ‘शिशु ऋण’ कहा जाता है। पीएमएमवाई ऋण दरअसल सदस्य उधारदाता संस्थानों जैसे कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकोंगैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और मुद्रा लिमिटेड में पंजीकृत माइक्रो फाइनेंस संस्थानों द्वारा दिए जाते हैं।

अब भी कहर ढा रहे कोवि-19 संकट और इसके परिणामस्वरूप किए गए लॉकडाउन ने उन सूक्ष्म और लघु उद्यमों के कारोबार को बुरी तरह बाधित किया है जो शिशु मुद्रा ऋणों के माध्यम से वित्त पोषित होते हैं। छोटे कारोबारी आम तौर पर अत्‍यंत कम परिचालन मार्जिन पर व्‍यवसाय करते हैंऔर वर्तमान लॉकडाउन का उनके नकदी प्रवाह पर अत्‍यंत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है जिससे उनकी कर्ज अदायगी क्षमता खतरे में पड़ गई है। इस वजह से वे कर्ज अदायगी में डिफॉल्‍ट या चूक कर सकते हैं और इसके परिणामस्वरूप भविष्य में संस्थागत ऋणों तक उनकी पहुंच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

31 मार्च 2020 तक की स्थिति के अनुसार,  पीएमएमवाई  की शिशु श्रेणी के तहत तकरीबन 1.62 लाख करोड़ रुपये की कुल ऋण राशि के साथ लगभग 9.37 करोड़ ऋण खाते बकाया थे।

कार्यान्वयन रणनीति:
यह योजना भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबीके माध्यम से कार्यान्वित की जाएगी और 12 माह तक परिचालन में रहेगी।
जिन उधारकर्ताओं को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआईके ‘कोविड-19 नियामकीय पैकेज’ के तहत उनके बैंकों द्वारा मोहलत दी गई है उनके लिए यह योजना मोहलत अवधि के पूरा होने के बाद शुरू होगी और 12 माह की अवधि तक जारी रहेगी यानी 01 सितंबर2020 से 31 अगस्त2021 तक जारी रहेगी। अन्य उधारकर्ताओं के लिए यह योजना 01 जून2020 से प्रभावी होगी और 31 मई2021 तक जारी रहेगी।
प्रमुख प्रभाव:
इस योजना को अभूतपूर्व परिस्थितियों से निपटने के लिए एक विशिष्ट कदम या उपाय के रूप में तैयार किया गया है और इसका उद्देश्य ऋण की लागत को कम करके पिरामिड के निचले भाग’ वाले उधारकर्ताओं की वित्तीय मुश्किलों को कम करना है। योजना से इस सेक्‍टर को बहुप्रतीक्षित राहत मिलने की उम्मीद हैजिससे छोटे कारोबारियों को धन की कमी के कारण कर्मचारियों की छंटनी किए बिना ही अपना कामकाज निरंतर जारी रखने में मदद मिलेगी।

संकट की इस घड़ी में अपना कामकाज निरंतर जारी रखने के लिए एमएसएमई को आवश्‍यक सहायता देने से इस योजना का अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ने और इसके साथ ही आर्थिक पुनरुत्‍थान को संबल मिलने की उम्मीद हैजो भविष्य में रोजगार सृजन के लिए अत्‍यंत जरूरी है।
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