बक्सर के  सदर प्रखंड में आज आशा दिवस का  किया गया आयोजन
  


राजीव मिश्रा / हिमाँशु शुक्ला 
07 सितम्बर 2019 

आज बक्सर के सदर प्रखंड में आशा दिवस मनाने के साथ ही पोषण माह का प्रशिक्षण भी दिया गया जिसमे BHM, BCM, सभी आशा फैसलिटेटर और आशा कार्यकर्ता पंचायत चुरामनपुर, दलसागर, खुटहा, सोनवर्षा ने हिस्सा लिया  l

आइये जानते है राष्ट्रीय पोषण माह और पोषण अभियान के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य -
1. राष्ट्रीय पोषण माह और पोषण अभियान क्या है?
पोषण अभियान देश की पोषण चुनौतियों से निपटने के लिए एक अनोखा कार्यक्रम है जिसकी शुरूआत प्रधानमंत्री द्वारा मार्च, 2018 में किया गया था।
यह कार्यक्रम सभी मंत्रालयों के बीच एक साथ समन्वित तरीके से काम करने की मांग करता है ताकि कुपोषण को जल्दी और प्रगतिशील तरीके से कम किया जा सके।
क्या राष्ट्रपति किसी गलत कानून को बनने से रोक सकता है?
2. कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य क्या है?
कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य लोगों के बीच पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना और बच्चों एवं गर्भवती/स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे संपूर्ण पोषण तक उनकी पहुंच बढ़ाना है।
देश भर में समुदायों के बीच लामबंदी करना और पोषण से जुड़ी चुनौतियों के विभिन्न आयामों से निपटने में उनकी भागीदारी बढ़ाना |
देश में उच्च स्तर के पोषण को महत्व देना |
प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से लक्षित दृष्टिकोण के साथ एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण का लक्ष्य हासिल करना |
2018 के राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान 11 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंच बढ़ाना |
राष्ट्रपति की शक्तियां एवं कार्य
3. पोषण अभियान कार्यक्रम के तहत क्या प्रयास किये जा रहे है?
इस अभियान की नोडल एजेंसी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय है और इस जिम्मेदारी के साथ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय संवेदीकरण कार्यक्रम चलाने में हमेशा ही आगे रहा है।
केंद्र सरकार के अन्य मंत्रालय भी पोषण अभियान के लिए आपस में सहयोग कर रहे हैं। और अन्य सहयोगी मंत्रालयों और संगठनों के साथ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय देश भर में विभिन्न समुदायों का समर्थन हासिल करने में सफल रहा है।
सांसदों और मंत्रियों को भी जन आंदोलन के स्तर तक गतिविधियां तेज करने का आग्रह किया गया है।
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी पत्र में लिखी –  “मैं आप सभी से आग्रह करती हूं कि अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में संपर्क गतिविधियां चलाएं। इस मिशन में आपकी भागीदारी से कुपोषण को जड़ से मिटाने के उद्देश्य से आम आदमी जुड़ सकेंगे।”
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के पत्र की प्रक्रिया में मंत्रियों और सांसदों ने पोषण अभियान के तहत कई गतिविधियां शुरू कर दी हैं।
पोषण अभियान की शुरूआत से अब तक सरकार ने शारीरिक विकास की कमी, कुपोषण, एनीमिया और जन्म के वक्त वजन में कमी को रोकने के उद्देश्य से कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
सरकार और अन्य संबंधित संगठनों ने कुपोषण मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है।
एक समग्र दृष्टिकोण के साथ 2020 तक देश के सभी 36 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों और 718 जिलों में चरणबद्ध तरीके से पोषण अभियान कार्यक्रम चलाया जाएगा।
इस माह विशेष अभियान के तहत लगभग 100 सामुदायिक रेडियो केंद्र भी भाग ले रहे हैं।
देश भर के हितधारकों को राज्य स्तर की कार्यशाला से लेकर ब्रांड एंबेसडर के नामांकन और बहु-मीडिया अभियान तक गतिविधियां चलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
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4. राष्ट्रीय पोषण माह के वर्ष 2018 में मुख्य थीम क्या है? 
राष्ट्रीय पोषण माह 2018 के 8 मुख्य थीम है
प्रसवपूर्व देखभाल
सर्वोत्कृष्ट स्तनपान
पूरक आहार
एनीमिया
विकास की निगरानी
शिक्षा
आहार एवं लड़कियों की शादि करने की सही उम्र
स्वच्छता एवं सफाई और खाद्य सुदृढ़ीकरण
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5.पोषण अभियान कार्यक्रम की आवश्यकता क्या है?
देश के सर्वागीन एवं सतत विकास के साथ ही अनेकों लिहाज से राष्ट्रीय पोषण माह और पोषण अभियान जैसे कार्यक्रम की प्रमुख आवश्कता है |  इसकी कुछ संक्षिप्त व्याख्या निम्न हो सकती है |
देश में एक बड़ी आबादी व्यापक तौर पर कुपोषण की समस्या से ग्रसित है इसमें ज्यादातर संख्याएँ महिलाऐं और बच्चो की है | ऐसे में देश का विकास हमेशा बाधित रहने की गुन्जाईस है | महिलाओं के कुपोषित रह जाने से उनके बच्चे भी स्वयमेव कुपोषित रह जाते है | ऐसे में उनसे राष्ट्र विकास में भागीदारी की आशा नहीं की जा सकती है|
मानवाधिकार के लिहाज से भी कुपोषण एक बड़ी समस्या है |
विश्व पटल पर भारत की साख के लिहाज से भी कुपोषण की समस्या का निराकरण जरुरी है |
भारत के सर्वांगीन विकास और रैंकिंग में सुधार के संबंध में भी कुपोषण एक प्रमुख चुनौती है जिससे तत्काल निपटा जाना चाहिए|
कुपोषण एवं बुनियादी आभाव जैसी चीज कुंठा को उत्पन्न करती है जो राष्ट्र के विकास के लिहाज से काफी घातक साबित हो सकती है |
इस कार्यक्रम की आवश्यकता इसलिए भी है की इससे महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर भागीदारी का अवसर प्राप्त हो सकेगा | कम उम्र में विवाह कर दिया जाना अनेक रोगों और कुपोषण के साथ ही महिलाओं की सारी संभावनाओं का गला घोंट देता है |
लगभग आधी आबादी के रूप में होते हुए भी महिलाओं का पिछड़ा होना विकास के सामने एक प्रमुख चुनौती है जबकि बच्चे तो स्वयं कल के भविष्य है, उनके पिछड़े होने पर राष्ट्र का भविष्य ही अंधेरे में हो सकता है |
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