रेल मुख्यालय हाजीपुर में राहुल सांकृत्यायन की याद में संगोष्ठी का आयोजन 

राजन मिश्रा 
08.04.2019

हाजीपुर - राहुल जी का समग्र जीवन ही एक यायावर की यात्रा और एक रचनाधर्मिता की यात्रा थी । वे जहाँ भी गए वहाँ की भाषा और बोलियों को सीखा और इस तरह आम-जन के साथ घुल-मिलकर वहाँ की संस्कृति, समाज व साहित्य का गूढ़ अध्ययन किया । उनके पास ज्ञान का अपार भंडार था और इसी के कारण वे केदारनाथ पांडेय से महापंडित बने । उनका जीवन और अध्ययन हमें चकित करता है कि एक व्यक्ति एक जीवन में इतना कुछ कैसे कर सकता है । राहुल सांकृत्यायन को समर्पित गोष्ठी में उप मुख्य राजभाषा अधिकारी श्री दिलीप कुमार ने ये बातें   कहीं । गौरतलब है कि राहुल सांकृत्यायन का जन्म 09 अप्रैल 1893 को हुआ था । उनके जन्मदिन की  पूर्व संध्या पर राजभाषा विभाग ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया था ।              इस अवसर पर बोलते हुए राजभाषा अधिकारी श्री अशोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि घुमक्कड़ी स्वाभाव के राहुल 11 वर्ष की उम्र में ही विद्रोही बन गये । यायावरी और विद्रोह दोनों ने मिलकर राहुल सांकृत्यायन को महापंडित बनाया । बौद्ध धर्म और मार्क्सवाद दोनों का मिलाजुला चिंतन उनके पास था जिसके आधार पर उन्होंने नये भारत का स्वप्न संजोया था । घुमक्कड़ी को राहुल जी ने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वस्तु कही है । उनका मानना था कि घुमक्कड़ से बढ़कर व्यक्ति और समाज का कोई हितकारी नहीं हो सकता । इस अवसर पर विभिन्न विभाग के अधिकारी और कर्मचारीगण उपस्थित थे और कइयों ने राहुल सांकृत्यायन को अपने–अपने ढँग से याद किया । धर्मेन्द्र कुमार ने इस अवसर पर राहुल सांकृत्यायन पर स्वरचित कविता का पाठ किया ।           प्रमुख वक्ताओं में श्री वीरेन्द्र सिंह, अमरनाथ सिंह, सुनिता शंख, सत्यप्रकाश, आदि थे । कार्यक्रम का संचालन राजकिशोर राजन ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन राजभाषा अधिकारी श्री अशोक कुमार श्रीवास्तव ने किया ।
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