श्रीमद्भागवत कथा का समापन---------

श्रीमद्भागवत कथा भवसागर से पार होने का उत्तम साधन: साध्वी मोनिका



भाऊँखेड़ी: श्रीमद्भागवत कथा के अवसर पर आरती मे शामिल हुए श्रद्धालु

इछावर/भाऊँखेड़ी,   एमपी मीडिया पाइंट 

प्रवचन के समापन दिवस पर साध्वी मोनिका ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के सभी प्रसंग शिक्षाप्रद हैं भागवत की कथा कलियुग में भवसागर से पार होने का अतिउत्तम साधन है इन्ही श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण-सुदामा चरित्र का भी एक प्रसंग आता है जिसमे भगवान श्रीकृष्ण  और सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए बताया है कि मित्रता में आर्थिक रूप से कभी छोटा बड़ा नही देखा जाता, मित्रता में सच्चा मित्र वही होता है जो संकट की घड़ी में मित्र की मदद के लिए तत्पर रहे है जीवन मे मित्र से कभी कपट नहीं करना चाहिये क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण से सुदामा ने कपट पूर्वक चने खा लिए थे तो सुदामा को कई दिनो तक दरिद्र बनकर भटकटना पड़ा भगवान कृष्ण द्वारिका के राजा होने के बाद भी अपने बचपन के सखा सुदामा को नही भूले ओर उन्होंने मित्रता निभाई  ओर अपने सामान राज्य देकर सुदामापुरी का निर्माण किया रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने भी मित्रता का वर्णन करते हुए कहा है कि जो अपने मित्र के दुख से दुखी नही होता उन्हें बड़ा भारी पाप लगता है मित्रता में लेने देने में संकोच नही करना चाहिए और जहाँ तक हो सके अपने मित्र का हित ही करना चाहिए अपना स्वंय का दुख हो तो उसे रज के बराबर समझना चाहिए और मित्र पर आए दुख को पहाड़ के समान समझना चाहिए भगवान राम ने जब सुग्रीव का दुःख सुना तो उनकी भुजायें फड़कने लगी और उन्होंने अपने मित्र को आश्वासन दिया कि में बाली को एक ही बाण से मार दूंगा ओर तुम्हें निर्भय कर दूंगा इस तरह अपनी मित्रतानिभाई व सुग्रीव को राजा बना दिया इसी तरह भगवान राम ने विभीषण से सखा धर्म निभाया उक्त उदगार साध्वी मोनिका  ने भाऊँखेड़ी के प्राचीन शिव मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर कहे इस दौरान आज शिव मंदिर प्रांगण में साध्वी मोनिका दीदी का तुलादान फलों से किया गया श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर आज रात्री के दौरान भव्य शोभा यात्रा भी निकाली जाएगी।
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