कहां छिंडवाडा, कहां बुदनी !!
रिजवान अहमद सिद्दीकी के फेसबुक वॉल से
छिंदवाड़ा में हूं। इत्तेफ़ाक़ से बुदनी के नज़दीक से गुज़र कर यहां पहुँचा हूं। कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल हमारी निगाहों से होकर गुज़रता रहा है। जितनी बार छिंदवाड़ा को देखता हूँ कुछ नया मिलता है। किसी क्षेत्र में इतनी प्रगति इतना विकास सहज विश्वास नही होता। जब हम यहाँ पहुँचे तो सबसे पहले FDDI देखने गये। यह फुटवेयर डिज़ाइनिग का इंस्टिट्यूट है जो 120 करोड़ की लागत से बना है। यह राष्ट्रीय स्तर का एक आवासीय संस्थान है, जहाँ देश भर के छात्र डिग्री कोर्स करते हैं। यहाँ पढ़ने वाले छात्र देश विदेश में शान से नौकरी कर रहे हैं। अकेले यहाँ के ऑडिटोरियम का उल्लेख करूँ तो एक ज़िला मुख्यालय में इतना शानदार ऑडिटोरियम सहज विश्वास ही नही हुआ। ये ऐसा एक अकेला संस्थान नही है ऐसे संस्थानों की यहां लंबी सूची है। यह भी सच है कि देश दुनिया में आदिवासी बहुल किसी क्षेत्र ने सबसे तेज तरक्की की है तो वह छिंदवाड़ा है। सड़क, बिजली के अलावा रोजगार और स्वास्थ के क्षेत्र में अकल्पनीय विकास हुआ है। प्रदेश का पिछड़ा आदिवासी जिला छिंडवाडा को अब औद्योगिक क्षेत्र होने का भी गौरव प्राप्त है।
शुरुआत में मैंने बुदनी का ज़िक्र किया था। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का विधानसभा क्षेत्र बुदनी। जब बात विकास की है तो तुलना भी लाज़मी है। बुदनी से चुनकर 13 बरस मप्र के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान। ऐसा नही की वहाँ विकास नही हुआ लेकिन कहाँ छिंदवाड़ा कहाँ बुदनी ? छिंदवाड़ा और बुदनी के विकास में जमीनी अंतर यह है कि छिंदवाड़ा में पूरे जिले का विकास हुआ है और बुदनी में क्षेत्र का कम, भाजपा नेताओं की आर्थिक तरक्की ज्यादा हुई है। छिंदवाड़ा में कोई माफ़िया नही पनपा तो सीहोर हो या होशंगाबाद यहाँ विकास से ज्यादा चर्चा रेत माफिया की होती है।
चुनाव के पहले छिंदवाड़ा मॉडल प्रसिद्धि का विषय था, लेकिन अब ये मॉडल पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिये बड़ी चुनौती का सबब बनेगा। प्रदेश के सभी 52 जिलों को छिंदवाड़ा जैसा विकास चाहिए। कमलनाथ जी, आपसे उम्मीदें ज्यादा हैं।
Post A Comment: